बिना पास के नहीं हो पाएगी जिलाधिकारी से मुलाकात

नये जिलाधिकारी दीपक मीणा चार्ज लेने के बाद से नित नये प्रयोग कर रहे हैं. इसी कड़ी में उन्होंने आदेश दिया है कि बिना पास के उनसे फरियादी नहीं मिल सकेंगे।
डीएम का कहना है कि इस व्यवस्था से जवाबदेही तय करने में मदद मिलने के साथ-साथ फरियादियों को राहत होगी।
व नियुक्त गाजियाबाद के जिलाधिकारी दीपक मीणा ने फरियादियों से मिलने के लिए एक नया सिस्टम लागू किया है जिसकी चर्चा जिला प्रशासन में काफी जोर-शोर से हो रही है दरअसल जिलाधिकारी ने फरियादियों से मिलने के लिए पास व्यवस्था लागू कर दिए यानी जो भी व्यक्ति अपनी किसी भी समस्या या किसी भी प्रकार की बातचीत के लिए जिलाधिकारी कार्यालय में उनसे मिलने आता है तो उसे पहले कार्यालय सहायक से पास बनवाना होगा जिस पर मिलने वाले व्यक्ति का नाम पता मोबाइल नंबर और क्रमांक संख्या अंकित होगी।
मेरठ में भी किया था ‘प्रयोग’
जिलाधिकारी दीपक मीणा गाजियाबाद से पहले मेरठ में तकरीबन पोने तीन साल का डीएम का कार्यकाल सफलता पूर्वक चला चुके हैं। वहां भी उन्होंने इसके जरिये व्यवस्था को दुरस्त किया था।
इस प्रक्रिया का उद्देश्य यही है कि जो भी फरियादी मिलने आए उसका एक रिकॉर्ड और डाटा कार्यालय में उपलब्ध रहे। ताकि उसकी समस्या का समाधान हुआ है या नहीं यह भी रिकॉर्ड में दर्ज कराया जा सके।
ये है मकसद
डीएम का कहना है कि कोई व्यक्ति किसी भी समस्या के लिए अगर उनके कार्यालय आता है, तो संबंधित विभाग को आदेशित किया जाएगा और एक निश्चित समय सीमा के अंतर्गत संबंधित विभाग को इस संबंध में वैधानिक कार्रवाई करनी होगी।
फायदेमंद होगा विजिटर कार्ड
इस कार्ड का फायदा ये है किसी व्यक्ति की समस्या का समाधान नहीं होता है, तो उसे दोबारा नया प्रार्थना पत्र दाखिल करने की आवश्यकता नहीं होगी।
वह कार्ड दिखाकर ही पुरानी एप्लीकेशन पर हुई कार्रवाई का विवरण जान सकेगा।
नई व्यवस्था से है ट्रांसपेरेंसी बढ़ेगी
शुक्रवार को जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे पंकज गौड़ नाम के युवक ने बताया कि उसकी गली में बहुतेरी समस्याएं हैं। जिसमें सफाई और खस्ताहाल सड़क मुख्य है।
कई बार जिलाधिकारी कार्यालय में प्रार्थना पत्र देकर अवगत करा दिया।
लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। पुरानी एप्लीकेशन के बारे में भी किसी अधिकारी या विभाग को पता नहीं है।
पंकज ने कहा कि इस नई व्यवस्था के चलते निश्चित रूप से संबंधित विभागों की जवाबदेही तय हो सकेगी।
नई व्यवस्था से उम्मीद तो है
बता दें कि तेज तर्रार आईएएस अधिकारी दीपक मीणा आईएएस बनने से पहले आईआईटी करने के साथ सात निजी नौकरी के जरिये अनुभव ले चुके हैं।
इसके साथ ही अपनी पिछली पोस्टिंग मेरठ जिलाधिकारी पद पर करते हुए वे इस व्यवस्था को लागू कर न सिर्फ सरकारी अमले की जवाबदेही तय कर सके, बल्कि जनता को राहत देने और उनकी समस्याओं के निस्तारण पर भी एक्टिव एक्शन कराने में कामयाब रहे हैं।
उम्मीद है कि गाजियाबाद में भी इस नई व्यवस्था से ये संभव हो सकेगा।