अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया टैरिफ की घोषणाओं से भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) के बीच सहयोग बढ़ाने की जरूरत और स्पष्ट हो गई है।

Source : GRAPHICS
ट्रंप ने हाल ही में ईयू, कनाडा, मैक्सिको और भारत जैसे देशों से आयात पर 25% टैरिफ लगाने की बात कही है। इससे वैश्विक व्यापार में हलचल मच गई है। इस चुनौती से निपटने के लिए भारत और ईयू अब आपसी दोस्ती को मजबूत कर रहे हैं, ताकि दोनों को आर्थिक फायदा हो सके।
ईयू अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन भारत की दो दिवसीय यात्रा पर नई दिल्ली पहुंच रही हैं। आज वो 2 बजे भारत पहुंच जाएंगी। शाम 4 बजे वो राजघाट पर महात्मा गांधी की समाधि पर श्रद्धांजलि देंगी। इसके बाद शाम 5 बजे उनकी मुलाकात विदेश मंत्री एस जयशंकर से होगी। उनकी यह यात्रा दोनों पक्षों के बीच व्यापार और तकनीकी सहयोग को बढ़ाने पर केंद्रित है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात के बाद वह 28 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेंगी। इस दौरान भारत-ईयू मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर बातचीत को तेज करने पर जोर दिया जाएगा। यह समझौता दोनों के लिए ट्रंप के टैरिफ से बचने का एक रास्ता हो सकता है।
भारत और ईयू पहले से ही बड़े व्यापारिक साझेदार हैं। 2023 में दोनों के बीच करीब 2% भारतीय जीडीपी के बराबर व्यापार हुआ था। ट्रंप के टैरिफ के जवाब में ईयू ने भी अमेरिकी सामानों पर जवाबी टैक्स की तैयारी शुरू कर दी है। इस बीच, भारत अपने निर्यात को यूरोपीय बाजारों की ओर मोड़ने की योजना बना रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे भारत को अमेरिकी बाजार पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी।
भारत और यूरोपीय संघ का व्यापार कैसा है?
यूरोपीय संघ भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक दोस्त है। साल 2023 में भारत का 12.2% व्यापार यूरोपीय संघ के साथ हुआ। ये अमेरिका और चीन से भी ज्यादा है। पिछले 10 सालों में सामान का व्यापार 90% बढ़ा है। 2020 से 2023 तक सेवाओं का व्यापार 96% बढ़ गया। मतलब, दोनों देश एक-दूसरे से बहुत सारी चीजें खरीदते और बेचते हैं।
यूरोपीय संघ भारत में पैसे भी लगाता है। इसे FDI कहते हैं। इससे भारत में कारखाने बनते हैं, लोगों को नौकरी मिलती है, और नई तकनीक आती है। दोनों देश एक खास समझौते पर काम कर रहे हैं, जिसे फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) कहते हैं। इसमें टैक्स कम करना, पैसा सुरक्षित रखना, और नियम आसान करना शामिल है। इससे व्यापार और बढ़ेगा।
सुरक्षा में कैसे मदद कर रहा है यूरोपीय संघ?
यूरोपीय संघ भारत के साथ सुरक्षा में भी काम कर रहा है, खासकर हिंद-प्रशांत इलाके में। यूरोपीय संघ ने भारत की नौसेना के एक सेंटर में अपना अफसर भेजा है। ये सेंटर गुरुग्राम में है। दोनों देश मिलकर समुद्र की सुरक्षा, सेना की तकनीक, और आतंकवाद रोकने पर बात कर रहे हैं।
यूरोपीय संघ का एक प्रोग्राम है, जिसे ESIWA कहते हैं। इससे एशिया के देशों के साथ सुरक्षा बढ़ती है। भारत और यूरोपीय संघ मिलकर समुद्र के रास्तों को सुरक्षित रखना चाहते हैं। ये चीन की बढ़ती ताकत को रोकने में भी मदद करता है। इससे इलाके में शांति रहती है।

ट्रंप के टैरिफ से दुनिया में हलचल; 27 देशों के संगठन यूरोपीय यूनियन के साथ भारत खोजेगा रास्ता
ट्रेड और टेक्नोलॉजी काउंसिल क्या है?
भारत और यूरोपीय संघ ने एक खास ग्रुप बनाया है। इसे ट्रेड और टेक्नोलॉजी काउंसिल (TTC) कहते हैं। इसका मकसद है कि दोनों देश मिलकर नई तकनीक और व्यापार को बेहतर करें। इसमें खास तौर पर सेमीकंडक्टर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), और साफ ऊर्जा पर काम हो रहा है।
ये ग्रुप चाहता है कि व्यापार की चीजें आसानी से मिलें। दोनों देश एक ही देश पर निर्भर न रहें। डिजिटल काम और तकनीक को बढ़ावा देना भी इसका लक्ष्य है। इससे भविष्य में दोनों देश मजबूत बनेंगे।
IMEC क्या है और ये क्यों जरूरी है?
IMEC का पूरा नाम है भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर। ये एक नया रास्ता बनाएगा व्यापार और ऊर्जा के लिए। इससे चीन के रास्ते को छोड़कर दूसरा रास्ता मिलेगा। इस कॉरिडोर से डिजिटल और सड़क-रेल की सुविधा बढ़ेगी। चीजें जल्दी पहुंचेंगी और व्यापार आसान होगा।
ये कॉरिडोर भारत, मध्य पूर्व, और यूरोप को जोड़ेगा। इससे ऊर्जा की सुरक्षा भी बढ़ेगी। मतलब, तेल और गैस जैसी चीजें आसानी से मिलेंगी। ये पूरी दुनिया के लिए अच्छा है।
फ्री ट्रेड एग्रीमेंट में क्या दिक्कतें हैं?
भारत और यूरोपीय संघ के बीच FTA पर बात चल रही है, लेकिन कुछ परेशानियां हैं। यूरोपीय संघ चाहता है कि भारत गाड़ियों, शराब, और दूध की चीजों पर टैक्स कम करे। लेकिन भारत के अपने नियम हैं, जो इसे मुश्किल बनाते हैं। भारत चाहता है कि उसकी दवाइयां, IT सर्विस, और खेती की चीजें यूरोप में आसानी से बिकें। लेकिन यूरोपीय संघ के सख्त नियम इसे रोकते हैं।
यूरोपीय संघ का एक नियम है कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (CBAM)। इससे भारत के व्यापारियों को मुश्किल होती है। इन सब बातों को सुलझाना जरूरी है।
डेटा प्राइवेसी से क्या परेशानी है?
यूरोपीय संघ के डेटा नियम बहुत सख्त हैं। इससे भारत से डिजिटल व्यापार महंगा और मुश्किल हो जाता है। भारत को यूरोपीय संघ से डेटा की पूरी मंजूरी नहीं मिली है। छोटी IT कंपनियों को नियम मानने में खर्चा ज्यादा लगता है। इससे वो यूरोप में आसानी से काम नहीं कर पातीं।
भारत को साइबर सुरक्षा के नियम मजबूत करने होंगे। एक खास डेटा समझौता करना होगा, जैसे यूरोपीय संघ और अमेरिका के बीच है। तभी डिजिटल व्यापार आसान होगा।
रक्षा और सुरक्षा में क्या कदम उठ सकते हैं?
भारत और यूरोपीय संघ मिलकर समुद्र में अभ्यास कर सकते हैं। साइबर सुरक्षा और खुफिया जानकारी बांट सकते हैं। भारत का हिंद-प्रशांत प्लान और यूरोप की रक्षा नीतियों को मिलाना होगा। भारत का रूस के साथ पुराना रक्षा रिश्ता है। अमेरिका के साथ भी रिश्ते बढ़ रहे हैं। फिर भी, यूरोपीय संघ के साथ सुरक्षा बढ़ाने का विकल्प है।
भारत कैसे वैश्विक संतुलन बनाएगा?
अमेरिका और यूरोप के बीच तनाव है। ऐसे में भारत एक सेतु बन सकता है। भारत G20, BRICS+, और UN जैसे मंचों पर यूरोपीय संघ के साथ काम कर सकता है। अमेरिका और यूरोप, दोनों से अच्छे रिश्ते रखकर भारत अपनी ताकत बढ़ा सकता है। इससे दुनिया में शांति और संतुलन आएगा।
भारत और यूरोपीय संघ के रिश्ते बहुत जरूरी हैं। व्यापार, सुरक्षा, तकनीक, और डिजिटल क्षेत्र में दोनों मिलकर काम कर रहे हैं। कुछ दिक्कतें हैं, लेकिन बातचीत से इन्हें सुलझाया जा सकता है। IMEC जैसे प्रोजेक्ट से दुनिया में भारत की ताकत बढ़ेगी। दोनों देश मिलकर भविष्य को बेहतर बना सकते हैं।