उत्तर प्रदेश सरकार ने की 202526 के लिए नई आबकारी नीति की घोषणा।

उत्तर प्रदेश सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए नई आबकारी नीति की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य राज्य के राजस्व में वृद्धि करना और शराब की बिक्री में पारदर्शिता लाना है। इस नीति के प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं: *राजस्व लक्ष्य* 55,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य: नई नीति के तहत, सरकार ने 55,000 करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य निर्धारित किया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 4,000 करोड़ रुपये अधिक है। *लाइसेंसिंग और दुकानें* ई-लॉटरी प्रणाली: देशी, विदेशी शराब और बीयर की फुटकर दुकानों के लाइसेंस अब ई-लॉटरी के माध्यम से आवंटित किए जाएंगे। कंपोजिट दुकानें: नई नीति के तहत, कंपोजिट दुकानों का लाइसेंस जारी किया जाएगा, जहां एक ही स्थान पर देशी, विदेशी शराब और बीयर उपलब्ध होगी। लाइसेंस की सीमा: कोई भी व्यक्ति, फर्म या कंपनी अधिकतम दो लाइसेंस ही प्राप्त कर सकेगी। *उत्पाद और बिक्री* नई शराब श्रेणी: 28% वी/वी तीव्रता की अनाज आधारित उत्तर प्रदेश निर्मित शराब (UPML) की एक नई श्रेणी पेश की गई है। छोटी बोतलों की बिक्री: पहली बार, विदेशी मदिरा की 60 एमएल और 90 एमएल की बोतलों की बिक्री की अनुमति दी गई है। देशी शराब की पैकेजिंग: अब देशी शराब केवल टेट्रा पैक में ही बेची जाएगी, जिससे मिलावट और अवैध आपूर्ति की संभावना कम होगी। *विशेष सुविधाएं* प्रीमियम रिटेल दुकानें: प्रीमियम रिटेल दुकानों के लाइसेंस का नवीनीकरण 25 लाख रुपये वार्षिक शुल्क पर किया जाएगा। *वैयक्तिक होम लाइसेंस:* निजी उपयोग के लिए निर्धारित सीमा से अधिक मदिरा खरीदने, परिवहन करने और रखने के लिए वैयक्तिक होम लाइसेंस की प्रक्रिया सरल की गई है। इसके लिए वार्षिक शुल्क 11,000 रुपये और सुरक्षा राशि 11,000 रुपये निर्धारित की गई है। *अन्य प्रावधान* मॉडल शॉप्स: 400 वर्ग फीट से अधिक क्षेत्रफल वाली कंपोजिट दुकानों को मॉडल शॉप में परिवर्तित करने का विकल्प मिलेगा, जहां ग्राहकों को परिसर में ही शराब परोसी जा सकेगी। *नोएडा, गाजियाबाद, आगरा और लखनऊ में विशेष बार* : इन शहरों में केवल बीयर और वाइन परोसने वाले कम तीव्रता के अल्कोहल बार (Low Alcoholic Bars) शुरू किए जाएंगे। इस नई आबकारी नीति का उद्देश्य राज्य में शराब की बिक्री को सुव्यवस्थित करना, राजस्व में वृद्धि करना और उपभोक्ताओं को बेहतर सुविधाएं प्रदान करना है।